मित्रों! मानव स्वभाव में एक विशेषता है कि वह केवल प्रत्यक्ष बातों, घटनाओं को ही जान कर संतुष्ट नहीं होता है, बल्कि वह जानना चाहता है कि जो हो रहा है वह - क्यों ? कैसे ? क्या हो रहा है ? तथा क्या होगा ? जिन बातों से मानव को प्रत्यक्ष लाभ होने की संभावना नहीं है, उनको जानने के लिए भी वह उत्सुक रहता है। यह मानवीय स्वभाव है, साथ ही ‘आवश्यकता आविष्कार की जननी है’ यह बात भी यहाँ पर लागू होती है। अधिकतम ज्ञान हमें पढ़ कर , सुनकर , देख कर प्राप्त होता है, पुस्तकें ज्ञान वृद्धि का एक सशक्त माध्यम हैं .
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